बेटी हूँ पर कमज़ोर नहीं
माँ – बाप का अभिमान हूँ मैं
नए संकल्प और नई सोच से
देश का मान बढ़ाऊंगी
होंगें सबके सपने पूरे
ये विश्वास दिलाऊंगी
अत्याचारों से लड़कर
जीत का बिगुल बजाऊंगी
सत्कर्म,सदभावना से
आगे बढ़ती जाऊंगी
करना होगा उत्थान समाज का
सबको लेकर अपने संग
प्यार भरी एक मुहिम चलाऊंगी
(काव्य-संग्रह--- प्रीत मंजरी से )
डॉ.प्रीत अरोड़ा
बेटियां बेटो से कम नहीं,आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteआज ऐसे ही ज़ज़्बे की जरूरत है!
ReplyDeleteसार्थक लेखन!
आपकी पोस्ट 21 - 03- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
ReplyDeleteसार्थक और परिपक्व अभिव्यक्ति है आपकी रचना में प्रीत जी. विजय
ReplyDeleteबहुत सुंदर काव्यमयी संकल्प ....
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