Wednesday 20 March 2013

एक मुहिम



     

बेटी हूँ पर कमज़ोर नहीं
माँ बाप का अभिमान हूँ मैं
नए संकल्प और नई सोच से
देश का मान बढ़ाऊंगी
होंगें सबके सपने पूरे
ये विश्वास दिलाऊंगी
अत्याचारों से लड़कर
जीत का बिगुल बजाऊंगी
सत्कर्म,सदभावना से
आगे बढ़ती जाऊंगी
करना होगा उत्थान समाज का
सबको लेकर अपने संग
प्यार भरी एक मुहिम चलाऊंगी

(काव्य-संग्रह--- प्रीत मंजरी से )



  डॉ.प्रीत अरोड़ा

8 comments:

  1. बेटियां बेटो से कम नहीं,आभार.

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  2. आज ऐसे ही ज़ज़्बे की जरूरत है!
    सार्थक लेखन!

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  3. आपकी पोस्ट 21 - 03- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें ।

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  4. सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद

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  5. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.

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  6. सार्थक और परिपक्व अभिव्यक्ति है आपकी रचना में प्रीत जी. विजय

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  7. बहुत सुंदर काव्यमयी संकल्प ....

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