रिश्ता हमारा
तुम दीपक हो
मैं बाती हूँ
तुम शमा हो
मैं परवाना हूँ
तुम सूरज हो
मैं किरण हूँ
तुम चाँद हो
मैं चकोर हूँ
तुम फूल हो
मैं भवरा हूँ
तुम मछली हो
मैं जाल हूँ
तुम गीत हो
मैं साज हूँ
तुम कवि हो
मैं काव्य हूँ
जब हाथों में हाथ है
जन्म-जन्म का साथ है
डॉ.प्रीत अरोड़ा
khoobsurat kavita
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...............ब्लॉग की रूप रेखा अति सुन्दर .......................जब हाथों में हाथ है
ReplyDeleteजन्म-जन्म का साथ है
सुंदर रचना अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
ReplyDeletevery nice poem preet ji
ReplyDeleteअच्छी रचना |
ReplyDeleteआशा
बहुत प्यारी रचना
ReplyDeleteतुम लिखती हो
ReplyDeleteमैं पढ़ती हूँ....
जन्म जन्म का साथ है......
:-)
अनु
ये साथ यूँ ही कायम रहे ......बहुत खूब
ReplyDelete:)
ReplyDeleteबेहतरीन .......
ReplyDeletebhut khub kaha di ji ye sath aapka sda kayam rahe, kagaj , kalam or aap sada yu hi diya - bati sa , kavi-kavy sa, hatho se hath ka v janm se jnmantar ka sath nibhae .........aamin.
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