Sunday, 24 April 2011

सपने देखा करो






















सपने देखा करो
पर हकीकत मत मानो,
क्योकि सपने तो
केवल सपने ही होते हैं .
जो हमारे अपने नहीं होते
यह हमे सुख-दुःख,
आनंद आदि का स्पर्श भर देते हैं
सपने किसी की याद दिलाते हैं
और याद दिलाने पर
हँसाते हैं, रुलाते हैं 

एक अदभुत स्पर्श छोड़ जाते हैं
पर आँख खुलने पर वे सपने
केवल आखों में रह जाते हैं
जमीन पर उतर नहीं पाते हैं
सपने देखा करो,
पर हकीकत मत मानो !

प्रीत अरोरा 

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