Monday 24 September 2012

वाह री ! मैट्रो

कहते हैं हर चीज का नफा-नुकसान होता है मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ हालही में दिल्ली जाना हुआ मैंने अक्सर मैट्रो की चर्चा सुनी थी .दिल्ली जाकर साक्षात दर्शन भी हो गए और अब सफर करने के लिए मन में उत्सुकता थी पर ये क्या लोगों का
हजूम देखकर मेरी हिम्मत जवाब देने लगी.कहते है न दूर के ढ़ोल सुहावने.मैट्रो में कदम रखते ही मेरा मन घबराने लगा कि सफर पूरा होगा भी या नहीं.भगवान का नाम लेकर सफर शुरू किया.मेरे पापा भी मेरे साथ थे.इतने में पापा ने एक लड़के को पकड़कर उसे ड़ाटना शुरू कर दिया .पता लगा कि वो पापा की जेब साफ करने लगा था .हे भगवान अब ये भी देखना था .ड़र के मारे मेरे पसीने छूट रहे थे कि अब पापा से मेरी क्लास पक्की लगी क्योंकि पापा ने भीड़ देखकर मना किया था कि इसमें सफर करना रहने दो पर मै हूँ न जिद्दी लड़की.आखिर मैट्रो का तजुर्बा जो लेना था.अभी ये विपदा हटी तो दूसरी सिर पर खड़ी थी हम गलती से अपने स्टेशन पर न उतर कर किसी दूसरे स्टेशन पर उतर गये.प्यारे पापा से इतनी प्यारी ड़ाँट पड़ी कि खुशी के मारे मेरी आँखों में आँसू आ गए.और मैट्रो की सुँदर शक्ल मेरी आँखों के सामने घूम रही थी.और मैंने कसम खाई कि ये मेरा मैट्रो में आखिरी सफर था
डॉ.प्रीत अरोड़ा.................................

2 comments:

  1. bharat ki sabse behtareen transport vyavastha se judee aapki buri yaden..:)

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  2. Delhi mein metro to New Delhi se Airport waali hi behat achhi lagi.. baaki mein thusamtusi hi nazar aati hai ..
    bahut badiya ..

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