Sunday, 13 January 2013

हाइकु

हाइकु

कटु यथार्थ
गर्भ में भ्रूण ह्त्या
जन्मेगी कैसे ?
डॉ.प्रीत अरोड़ा

Friday, 4 January 2013

नैतिक मूल्यों का करें संरक्षण

आज कहने को तो हम आधुनिक हैं परन्तु दिखावट भरी जिन्दगी में हम अपने साँस्कृतिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं.सही अर्थों में किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके नैतिक गुणों जैसे-प्रेम,दया,सहानुभूति,ईमानदारी,सदभावना के आधार पर की जाती है.किन्तु आज हमारी सोच ,समाज,रहन-सहन,सँस्कृति यहाँ तक कि मूल्य भी बदल गए हैं.इसका कारण आधुनिक परिवेश,हमारी बदलती सोच,टूटते संयुक्त परिवार व सामाजिक वातावरण आदि हैं.चाहें हम आधुनिकता की चकाचौंध में अन्धाधुन्ध भागी जा रहे हैं.फिर भी हमें इन नैतिक मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए चूंकि मूल्यों को यदि बदलाव इसी तरह तेजी से होता चला गया तो आने  वाले समय में क्या दशा होगी ?अतः आवश्यकता है पाश्चात्य सभ्यता के रंग में न रँगकर हम भारतीय सँस्कृति व सभ्यता और नैतिक मूल्य रूपी धरोहर को सँभालें ताकि एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना की जा सके .                                        
 डॉ.प्रीत अरोड़ा


Tuesday, 1 January 2013

हैवान और इंसान

 न तो मैं हैवान हूँ
और न ही मैं शैतान हूँ
बस मैं तो मामूली -सा एक इंसान हूँ
पूजा-पाठ में लिप्त होकर
अच्छे कर्म में करता हूँ
ईमानदारी की रोटी कमाकर
अपने परिवार का पेट मैं भरता हूँ
छल-कपट की दुनिया से दूर
अपना छोटा-सा इक संसार है
पर इस छोटे संसार से बाहर भी
जगमगाती दुनिया की बहार है
जहाँ सच्चे इन्सानों से अधिक
खून पीने वालों की भरमार है
हैवानों की इस दुनिया में
हैवानियत की होली खेली जाती है
परम्परा की आड़ में
सच्चे इन्सानों की दुनिया
सब कुछ झेले जाती है

डॉ.प्रीत अरोड़ा