Thursday 21 June 2012

नव -चेतना

आओं मिलजुल कर जीवन खुशहाल बनाये
समस्याओ का निदान कर नवचेतना जगाये
यथार्थ के धरातल पर पैर जमाये
आत्म- सयंत कर स्वयं को मजबूत बनाये
आंतकवाद ,भ्रष्टाचार से लड़ समाज को स्वस्थ बनाये
गौतम गाँधी के मार्ग पर चलकर
मातृ-भूमि को स्वर्ग बनाये
दहेज़ प्रथा ,भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को जड़ से मिटाएं
आज के बच्चे कल के नेताओं का
जीवन सफल बनाये
सादा जीवन उच्च विचार
ऐसा आदर्श अपनाये
सत्यम शिवम् सुन्दरम का पंचम लहराए
नव जागरण का गीत गाये
वैर -विरोध की भाषा भुलाकर
प्रेम प्यार का बिगुल बजाये
आओ मिल जुल कर जीवन खुशहाल बनाये

Sunday 17 June 2012

आज फादर्स ड़े पर मेरी साधना में


मित्रों १७ जून को फादर्स ड़े होता है l एक बच्चे के जीवन में उसके माता-पिता दोनों की ही अहम् भूमिका होती है l  इसलिए  " मेरे पापा मेरे हीरो हैं क्योंकि पापा (Father) शब्द का एक-एक अक्षर जिस विशेषताओं को अपने भीतर समेटे हुए है--
                              F-(faithful),A-(attentive),T-(talented),H-(honest),E-(enthusiastic), R-(responsible) l वह सभी खूबियाँ मेरे पापा में भी बखूबी झलकती हैं l जिस प्रकार मेरी माँ ने स्नेह,दुलार व ममता से परिपूर्ण मेरा लालन-पालन किया है ठीक उसी प्रकार मेरे पापा ने भी मेरा पालन-पोषण व शिक्षा-दीक्षा में अपना दायित्व को पूर्ण निष्ठा से निभाया है l उनका सबसे अच्छा गुण है कि वह कर्म को पूजा के समान मानते हैं l उन्होंने जीवन में अनेक बाधाओं का सामना करते हुए भी अपने कार्य को सुचारू रूप से निभाया l उनका यही गुण उनको हीरो बनाता है और मुझे भी कर्म को ईमानदारी से करने की प्रेरणा देता है l इसके साथ-ही-साथ मेरे  पापा के मार्गदर्शन व अथक प्रयास का ही फल है कि मैंने विकट परिस्थितियों में होने के बावजूद भी उच्च शिक्षा ग्रहण कर साहित्य को अपना कार्यक्षेत्र बनाया l फादर्स ड़े पर पापा को नमन l

Sunday 3 June 2012

संघर्षों के इस मैदान में


संघर्षों के इस मैदान में
जीवन की रेलगाड़ी
तेज रफ्तार से आगे बढ़ती जाती है
कभी दुःखों के हिचकोले खिलाकर
तो कभी सुखों की गोदी में सुलाकर
मुँह से उफ से आह कहलावती है

--ड़ा प्रीत अरोड़ा

Friday 1 June 2012

चिड़िया मुझे बना दे राम

चिड़िया मुझे बना दे राम
छोटे पंख लगा दे राम
बागों में उड़ जाऊँगी
कन्दमूल मैं खाऊँगी
तेरे गुण मैं गाऊँगी
बस इतना-सा कर दे काम
चिड़िया मुझे बना दे राम

याद आती हैं वो स्कूल की बातें

                                                                           
याद आती हैं वो स्कूल की बातें
वो खट्टी-मिठ्ठी यादें
वो बच्चों संग बिताई हसीन मुलाकातें
वो पंछी की-सी उड़ान भरना
बच्चों संग खेलना
इधर-उधर झूमना

ड़ा प्रीत अरोड़ा