मानवता की असली पहचान उसका दूसरों के साथ प्रेम,सदभावना व आत्मीयता से व्यवहार करना है l परन्तु जब बात बुजुर्गों की होती है तो हम अपने इस व्यवहार को क्यों भूल जाते हैं ? जो माता-पिता अपना पूरा जीवन हमें सफल बनाने और लालन-पालन करने में समर्पित करते हैं और जब दायित्व निभाने का हमारा समय आता है तो हम अपने दायित्व से मुँह क्यों मोड़ लेते हैं ? हम क्यों यह भूल जाते हैं कि अगर आज हम अपने बुजुर्गों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं तो हमारी भावी पीढ़ी हमारे साथ न जाने कैसा व्यवहार करेगी ? मैंने देखा है कि आज ओल्ड ऐज होम्स में बुजुर्गों की गिनती बढ़ती ही जा रही है l एक भरा-पूरा परिवार होने के बावजूद भी उन्हें ऐसी जिन्दगी जीने के लिए क्यों मजबूर किया जाता है ? आखिर हमारे बुजुर्गों के अधिकार उन्हें कौन देगा ? हम,हमारा समाज या हमारा कानून ? आज बहुत जरूरी है कि हम अपने बुजुर्गों का आदर-सम्मान करते हुए उन्हें परिवार व समाज में वह स्थान दें जिसके हकदार वे हैं चूँकि उनके साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार व अत्याचारों में अगली गिनती हमारी भी हो सकती है—
“ बुजुर्गों से करें प्यार
यही है समृद्ध सुखी जीवन का आधार ”
--ड़ा प्रीत अरोड़ा
काश कि सभी लोग बुजुर्गों का महत्व समझें ।
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति गहरी सोच
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं प्रेरणात्मक आलेख ...बधाई |
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद
ReplyDeleteबुजुर्गों से करें प्यार
ReplyDeleteयही है समृद्ध सुखी जीवन का आधार-------------सत्य वचन
mata pita bhagwan hotein hain
ReplyDelete.....प्रेरणात्मक आलेख
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