Saturday, 19 May 2012

आ सखी,दो बातें करें

प्रिय सखियों,आ सखी के इस मंच पर मुझे बहुत सुखद एहसास हुआ .मैं यहाँ आकर बहुत कुछ सीखती हूँ. मैं किन शब्दों में आ सखी का आभार व्यक्त करुँ कि उन्होंने एक सुंदर समूह की सृजना की .एक स्वरचित कविता आ सखी को समर्पित करने जा रही हूँ..जो कि नीचे लिखी है.चूंकि मेरे जीवन के अमूल्य
पल है जिसे संजोकर रखना चाहती हूँ...तो लीजिए एक कविता आ सखी के नाम......

आ सखी,दो बातें करें

आ सखी,आ सखी
दो बातें करें
सुख-दुख अपने साँझे करें
अपनेपन के इस भाव से
प्यार की इक नई दुनिया बनेगी
दुःख -दर्द न होगा जिसमें
बस हँसते-खिलते चेहरे होंगे
न कोई बैरी,नहीं बेगाना
हमनें सबको अपना माना
प्यार की यह पावन धारा
निश्छल बहती जाएगी
स्वाति नक्षत्र की मिठ्ठी बूँदें
सीपी बन मोती लुटाएँगीं
आ सखी,आ सखी
दो बातें करें
मिलजुल कर जब बात करेंगें
सम्स्याओं का निदान करेंगें
हरा-भरा संसार होगा
चिन्ता छोड़ों ,नाता जोड़ों
खुशियों से तुम मुख न मोड़ों
जब हम होंगें साथ-साथ
प्यार बटेगा हाथों-हाथ

ड़ा प्रीत अरोड़ा

2 comments:

  1. Bahut sunder rachna

    sakhiyo ke saath baate karne ka ek alag hi anand hai ....sukh dukh sabhi sajha karte hai sakhiyo ke saath ...

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  2. apne saath baha dene me saksham ek bhaavpoorna uttam rachna ....badhaai preet ji !

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